September 8, 2024

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gram panchayat mandrella

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मण्ड्रेला ग्राम पंचायत नगरपालिका बने तो हो विकास

मण्ड्रेला ग्राम पंचायत नगरपालिका बने तो हो विकास

Development should happen if Mandrela Gram Panchayat becomes municipality

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झुंझुनूं के दो कदावर नेताओं की वर्चस्व की लड़ाई में पून: बनी पंचायत

मण्ड्रेला ग्राम पंचायत नगरपालिका बने तो हो विकास

1976 से 1982 तक मण्ड्रेला हुआ करता था नगरपालिका

झुंझुनूं के दो कदावर नेताओं की वर्चस्व की लड़ाई में पून: बनी पंचायत

तय मापदंडों पर खरी उतरती है ग्राम पंचायत मण्ड्रेला

कस्बेवासियों की मुख्य मांग

मण्ड्रेला 1976 से 1982 तक नगरपालिका होने के अपने जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और प्रशासन की बेरूखी के चलते आज अपने समकक्ष कस्बों से काफी पिछड़ा हुआ है।कस्बेवासियों की सरकार से मुूख्य मांग यही है कि ग्राम पंचायत मण्ड्रेला नगरपालिका बनने के तय मापदंडों पर खरी उतरने के बाद भी नगरपालिका नही बनी है।वर्तमान समय में राज्य सरकार ने कई ग्राम पंचायतों को नगर पालिका बनाई है,पर स्थानिय नेताओं की उदासिनता के कारण मण्ड्रेला फिर से नगरपालिका नही बन सका।
मण्ड्रेला कस्बे में कई कृषि मंडियों से अधिक अनाज की बिक्री होती है लेकिन कृषि मंडी नही होने के कारण किसानों को अन्य मंडियों जाकर अनाज बेचता पड़ता है या कम दामों में व्यपारियों को।कस्बे सहित क्षेत्र के अन्य गांवों से हजारों लोग रोजाना सफर करते है पर कस्बे में सरकारी बसों का अभाव होने के कारण निजी बसौं में महगी यात्रा करनी पड़ती है।सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मण्ड्रेला में तीन सौ से ज्यादा ओपीडी है फिर भी कोई विशेषज्ञ चिकित्सक नही है।जमीन आवंटित नही होने के कारण पुलिस थाना आज भी चौकी परिसर में चल रहा है।जिसके कारण हर वर्ष थाने के भवन के लिए स्वीकृत होने वाला बजट लेप्स हो रहा है।कस्बे के विद्युत विभाग के कनिष्ट अभिंयता कार्यालय के दायरे में छह हजार से भी ज्यादा विद्युत कनेक्शन है लेकिन सहायक अभियंता कार्यालय नही है।इस वजह से विद्युत संबधित समस्याओं के लिए उपभोक्ताओं को बगड़ जाना पड़ता है।इसी तरह जलदाय विभाग में कनिष्ट अभिंयता का पद स्वीकृत है लेकिन कार्यालय नही है।।कस्बे में गंदे पानी की स्थाई निकासी नही होने व सफाई व्यवस्था चरमाराई हुई है।ओर कस्बे के चारों कोनो पर गंदे पानी का साम्राज्य फैला हुआ।इसी के साथ ही कस्बे में कई सरकारी कार्यालय होने चाहिए पर नेताओं की बैरूखी एवं कस्बे के बुद्धाीजिवियों के इस और ध्यान नही देने के कारण आज मण्ड्रेला 25 वार्डो की ग्राम पंचायत होने के बाद भी नगरपालिका नही होने पर कस्बेवासी विकास को तरस रहे है।कस्बे में संचालित निजी कई स्कूलों में विज्ञान संकाय में सैकड़ों बच्चें अध्ययनरत है पर कस्बे में संचालित दो बड़े सरकारी स्कूल जिसमें एक बालिका में अभी तक विज्ञान संकाय स्वीकृत नही होने के कारण बहुत से बच्चों का डॉक्टर,इंजीनियर,वैज्ञानिक बनने के सपने सपने रह जाते है।जबकि कस्बे के लगते ग्रामीण अंचल की स्कूलों में विज्ञान संकाय चालू है।
यू बनी नगरपालिका
अनुसार 1976 में राजस्थान सरकार में मुख्यमंत्री हरदेव जोशी के कार्यकाल में मंडावा विधान सभा के विधायक रामनायण चौधरी (स्वायत शासन) मंत्री थे।उनके परिवार से (शायद वर्तमान विधायक रिटा चौधरी)गंभीर बीमार होने पर मुंबई अस्पताल में भर्ती हुई थी।उनका एक महिने वहा उपचार चलने के बाद वह ठीक होने पर मुंबई अस्पताल के निदेशक मण्ड्रेला निवासी पदमश्री चिरंजीलाल जोशी को कोई भी काम करने की बात कहने पर उनकी ओर से मण्ड्रेला को नगरपालिका बनाने की बात पर अगले एक महिने में मण्ड्रेला ग्राम पंचायत को नगरपालिका बना दिया एवं दयाचंद नेण को सीओ लगा तत्तकालिन सरपंच रघुवीर सिंह निर्वाण को चैयरमैन एवं सभी वार्ड पंचों को पार्षद बना दिया।एवं बालाजी मंदिर के पीछें बने एक मकान में 140 रूपए महिना किराए पर चलने लगा तथा 25 से अधिक सफाई कर्मचारियों सहित काम कारने लगे।जो 1980 तक चली

यू बनी नगरपालिका से पंचायत
1980 में नगरपालिका की ओर से गांव के मुख्य मार्गो पर पालिका की ओर से चूगीनांका बना दिया गया।जिससे गांव के व्ययपारियों को बाहर से समान लाने पर चूंगी देनी पड़ती थी।जिससे परेशान होकर व्यपारियों ने उस वक्त के पिलानी विधायक शीशराम ओला से शिकायत करने पर उन्होने मण्ड्रेला को फिर से पंचायत बना दिया।
विरोध में ग्रामीणों ने पून: पंचायत बनने के आदेश पर लिया स्टे
नगरपालिका से पून: पंचायत बनाने पर ग्रामीणों ने बैठक कर सरकार के उक्त निर्णय पर कॉर्ट जाने का फैसला किया एवं कस्बे के लोगों ने मुख्य गोपीराम लाठ,विश्वनाथ सोनी,बशीर कांजी,लाल मोहम्मद सोलंकी एवं पूर्व पंचायत समिति सदस्य रमेश निर्वाण की अगुवाई में कोर्ड में अपिल की जिसे पर तत्तकालिन हाईकोर्ड के जज गुमानमल लोडा ने यह कहते हुए स्टे दे दिया कि पंचायत से नगरपालिका बनती है पर मण्ड्रेला कस्बे एसा है जो नगरपालिका से पंचायत बना है।स्टे 1982 तक चला।1982 में मुख्यमंत्री शिवचरण माथूर सरकार में झुंझुनूं विधानसभा से विधायक बने पंचायतीराज मंत्री शीशराम ओला ने कोर्ड स्टे के बावजूद पून: पंचायत बना दिया एवं सरकार ने रामेश्वरलाल भडिय़ा को प्रसासक लगा दिया जो 1988 तक रहे।नगरपालिका के कर्मचारियों का अन्य जगह स्थांतरण कर दिया।
1988 में तीन वर्ष के लिए समुद्ध सिंह शेखावत सरपंच बने।1991 में फिर से प्रसासक लगा दिया तथा मण्ड्रेला पंचायत से मंहती की ढ़ाणी,नंदरामपुरा,रणजीतपुरा,खूबा की ढ़ाणी एवं सैनीपुरा को हटाकर बजावा ग्राम पंचायत के गांव तिगियास को मिलाकर तिगियास ग्राम पंचायत बना दी।तब से मण्ड्रेला अपनी बदहाली पर रो रहा है।

 

झुंझुनूं के दो कदावर नेताओं की वर्चस्व की लड़ाई में पून: बनी पंचायत

मण्ड्रेला.कस्बें में वर्तमान में 25 हजार से अधिक जनसख्या एवं 12 हजार से अधिक वोट होने के उपरांत भी कस्बे को मिलने वाली मुलभूत सुविधाओं से वचिंत रहना पड़ रहा है।इसका मुख्य कारण है है आबादी अधिक होने के साथ साथ ग्राम पंचायत को मिलने वाला बजट कम पडऩा जिसकी वजह से कस्बे में हर समय गंदे पानी की निकासी,पीने के पानी सहित अन्य सरकारी योजनाओं से जनता को वचिंत रहना पड़ रहा है।कस्बे में कोई नेता मण्ड्रेला को फिर से नगरपालिका बनाने को प्रत्यनसील नही होने के बावजूद अगला साल चुनावी वर्ष होने पर ग्रमाीणों को आस बधी है सरकार बजट में नगरपालिका बनाने की घोषणा कर सकती है।

 

 

 

 

 

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