July 27, 2024

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On December 9, there was a clash between Indian and Chinese soldiers on the border adjacent to the Tawang sector of Arunachal Pradesh.

On December 9, there was a clash between Indian and Chinese soldiers on the border adjacent to the Tawang sector of Arunachal Pradesh.

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर से सटे बॉर्डर पर 9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर से सटे बॉर्डर पर 9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी

On December 9, there was a clash between Indian and Chinese soldiers on the border adjacent to the Tawang sector of Arunachal Pradesh.

On December 9, there was a clash between Indian and Chinese soldiers on the border adjacent to the Tawang sector of Arunachal Pradesh.
On December 9, there was a clash between Indian and Chinese soldiers on the border adjacent to the Tawang sector of Arunachal Pradesh.

 

भारत और चीन के सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई झड़प को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर से हमला बोला है. उन्होंने कहा, “यह मोदी सरकार की लीपापोती है. इसलिए संसद में बहस जरूरी है, जहां पीएम को सवालों के जवाब देने चाहिए. हमारे लोगों से सच क्यों छुपाया जा रहा है?”

अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प
रक्षा मंत्री ने कहा, हाथापाई में किसी भारतीय सैनिक की नहीं हुई मौत
चीन ने दिया जवाब, कहा- सीमा पर हालात स्थिर
चीनी सेना का बयान भी आया सामने

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर को भारत और चीनी सैनिक आमने सामने आ गए थे. LAC पर अतिक्रमण करने की कोशिश में आए चीनी सैनिकों को भारतीय जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया. हालांकि, चीनी सैनिक ने इस झड़प का ठीकरा भारतीय सेना के ऊपर फोड़ा है. उधर, अमेरिका ने इस मुद्दे पर भारत का साथ दिया है.

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन और भारत के सैनिकों में झड़प हो गई। इसे लेकर जो जानकारी आई है उसके मुताबिक 3 दिन में दो बार तवांग में भारत और चीन के सैनिकों में झड़प हुई. 9 दिसंबर को पहली झड़प और 11 दिसंबर को दूसरी झड़प हुई थी.9 दिसंबर की झड़प में दोनों तरफ के सैनिकों को हल्की चोटें आई हैं

बात 9 दिसंबर की है. रात के लगभग 3 बजे थे. पूरा हिंदुस्तान सर्द रात में कंबल ओढ़कर सो रहा था. सीमाओं पर हिंद की सेना के जवान भारत की भौमिक अखंडता की रक्षा कर रहे थे. अरुणाचल प्रदेश के तवांग के यांगत्से इलाके में हिंद की सेना पेट्रोलिंग कर रही थी.
तवांग सेक्टर का यांगत्से इलाके में 16-17 हजार फ़ीट ऊंची बड़ी-बड़ी चोटियां हैं, जिन पर भारतीय सेना की चौकियां बनी हुई हैं. डोकलाम और गलवान में भारतीय सेना से मुंह की खाने वाला चीन एक बार फिर से मक्कारी कर बैठा.
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर से सटे बॉर्डर पर 9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प  से जुड़ा विडियो यहा देखे

300 से ज्यादा चीनी सैनिक तवांग सेक्टर के यांगत्से इलाके में 17000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित एक भारतीय चौकी पर कब्ज़ा करने के लिए बढ़ने लगे. PLA ने सोचा कि उन्हें लगा था कि इतनी ऊंचाई पर ज्यादा भारतीय सैनिक नहीं होंगे और वह चौकी को कब्जा लेगा.
लेकिन PLA भूल गया था कि ये नया भारत है. ये 1962 का नहीं 2022 का भारत है. भारतीय फौजियों ने चोटी पर हलचल देखी और थोड़ी ही देर में वहां Mirror Deployment जैसा नजारा था. अर्थात 17000 फ़ीट ऊंची सर्द चोटी भारतीय सेना के बूटों की चाप से गर्म हो चुकी थी. हिंद के जवान रौद्र रूप में PLA के सामने खड़े थे.
भारतीय सेना का प्रलयंकारी रूप देख PLA सेना हक्कीबक्की रह गई. भारतवर्ष की पावन भूमि की हर इंच जमीन बचाने को प्रतिबद्ध भारतीय जवान PLA के जवानों पर टूट पड़े. हिंद के जवानों ने चीनी सेना को रौंद दिया, खदेड़ दिया दहाड़ लगाई कि सावधान चीन, तुम्हारी 1962 जैसी नापाक हरकतों को नया भारत कुचल देगा.
इस झड़प में भारत के 6 सैनिक घायल हैं, जो अभी गुवाहाटी हॉस्पिटल में हैं. चीन के 20 से ज्यादा सैनिक घायल हुए हैं लेकिन वो कहां है, कोई पता नहीं. चीन जब पिटता है तो अपने नुकसान की खबर ऐसे ही छिपाता है. गलवान में जब 40 से ज्यादा चीनियों को हिंद के जवानों ने मार गिराया था, तब चीन ने महीनों बाद स्वीकारा था कि उसके 4 जवान मरे हैं जबकि सच पूरी दुनिया जानती है.
तवांग सेक्टर में हुई इस झड़प में जो सबसे महत्वपूर्ण बात सामने आई, वो है बेहतर आधारभूत संरचना जिसकी वजह से हिंद के जवान तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए, जहां जाने में कई घंटे या दिन लगते रहे हैं.
चीन जो पूर्वोत्तर में इतना कूद रहा है, उसके पीछे की वज़ह शी की झुंझलाहट है…
सड़क से लेकर पुल तक सरकार द्वारा शुरू की गईं विभिन्न विकास परियोजनाओं ने चीन की नींदें उड़ाकर रख दी हैं।
ड्रैगन इतना बौखला गया है कि वो सीमावर्ती इलाकों में अपनी गतिविधियां तेज कर रहा है।
महाशक्ति बनने का सपना पाल बैठा चीन इन दिनों बेहद ही हताश और परेशान है, भारतीय सेना से उसे इतनी मार जो पड़ी है।
अरुणाचल में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे चीनी सैनिकों की भारतीय जवानों ने ऐसी कुटाई की कि उन्हें वहां से दुम दबाकर भागने को ही मजबूर कर दिया।
पड़ोसी देशों की सीमा में घुसपैठ करने, उनकी जमीनों को अपना बताने की आदत चीन की काफी पुरानी रही है, जिसके चलते ही आए दिन वो अपने पड़ोसी देशों के लिए समस्याएं खड़ी करता रहता है।
हालांकि भारत से पंगा लेना उसे भारी पड़ जाता है क्योंकि हर बार भारत के हाथों मुंह की खाने को मजबूर होना पड़ता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर क्यों पूर्वोत्तर में चीन इतना धूतर्ता दिखा रहा है, उसके पीछे उसकी मंशा क्या है ?
भारत-चीन में झड़प –
भारत, चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। पांच भारतीयों राज्य लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश से चीन की सीमा लगी हुई है।
चीन इन इलाकों में अक्सर अपनी ओछी हरकतों को अंजाम देता रहता है। अब एक बार फिर चीन ने भारत की सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की है, जिसका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया है।
चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में घुसपैठ की, जिस दौरान ही भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हो गईं।
9 दिसंबर को हुई इस झड़प में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों की जबरदस्त कुटाई की है। साथ ही बहादुर जवानों ने चीनियों को भारतीय सीमा से खदेड़ भी दिया।
देखा जाए तो चीन ने ऐसा पहली बार नहीं किया। इससे कुछ महीने पूर्व भी चीनी सेना के करीब 200 जवान तवांग सेक्टर में भारतीय सीमा में घुस आए थे और भारतीय जवानों के साथ उनकी हाथापाई भी हुई।
हालांकि बाद में स्थानीय कमांडरों ने अपने स्तर पर विवाद को सुलझाया था और चीनी सैनिकों को वापस भेजा गया। अब ऐसे में यहां प्रश्न यही उठता है कि आखिर चीन बार-बार पूर्वोत्तर में इस तरह की हरकतें करता रहता है?
परियोजनाओं से बौखालाया चीन –
इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यही दिखता है कि मोदी सरकार द्वारा पूर्वोत्तर को मजबूत करने की दिशा में उठाए जा रहे कदम से ड्रैगन बौखला गया है।
अरुणाचल प्रदेश में चीन से सटे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के आसपास के इलाकों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने हाल के वर्षों में कई विकास परियोजनाएं शुरू की हैं।
इन परियोजनाओं को लेकर शुरुआत से ही चीन की बेचैनी देखने को मिली है।
आप देखेंगे कि जब से ही मोदी सरकार सत्ता में आई है उसने पूर्वोत्तर पर अपना ध्यान केंद्रित किया। सरकार ने इन इलाकों के बजट में भारी वृद्धि की है।
बता दें कि पूर्वोत्तर के इलाक़ों की आधारभूत परियोजनाओं के लिए इस वर्ष 249.12 करोड़ की रकम आवंटित की है, जबकि पिछले साल यह महज 42.87 करोड़ थीं।
ड्रैगन की नापाक साजिशों को ध्वस्त करने के लिए सरकार लगातार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में जुटी है।
सीमा क्षेत्रों तक सड़क संपर्क बढ़ाने के लिए सरकार ने बीआरओ के लिए निर्धारित राशि को पिछले साल की तुलना में 40 फीसदी बढ़ाकर 2022-23 के आम बजट में 3500 करोड़ रुपये कर दिया।
वहीं चीन से सटे इलाकों में सड़क संपर्क बढ़ाने की कोशिशों का परिणाम यह है कि पिछले साल बीआरओ उत्तर-पश्चिमी और पूर्वोत्तर के राज्यों में 102 सड़कें और पुल बनाए गए।
इन परियोजनाओं से होगा ये कि चीन के साथ किसी संभावित टकराव के दौरान सैन्य दस्ते को इन इलाकों में तेजी से भेजा जा सकेगा और यही चीन की परेशानी की वजह बना हुआ है।
जिस वजह से वो बार-बार पूर्वोत्तर में घुसकर इस तरह के दुस्साहस को अंजाम देने की कोशिश करता रहता है।
अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे से उड़ी नींद –
इसके अलावा चीन की बौखलाहट का एक बड़ा कारण अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे भी है, जिसका निर्माण तेज गति के साथ किया जा रहा है।
भारत का ये प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके पूरा होने से अरुणाचल प्रदेश से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पूरी तरह से एक हाईवे से जुड़ जाएगी, जिससे LAC पर चीन के द्वारा की जा रही गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए रखना बेहद ही आसान हो जाएगा और चालबाज चीन की हरकतों का मुंहतोड़ जबाव देना भी सरल हो जाएगा।
इस प्रोजेक्ट ने ड्रैगन की नींदे उड़ाकर रखी दी हैं। तवांग सेक्टर में चीनी सैनिकों की उकसावे भरी कार्रवाई को पूर्वोत्तर में चल रही विकास परियोजनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है।
ऐसा माना जा सकता है कि जो चीन पूर्वोत्तर में इतना उछल रहा है उसके पीछे की असल वजह शी जिनपिंग की झुंझलाहट है।

 

 

 

 

 

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