July 25, 2024

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Hansasar's beloved Dr. Arun Singh Babal came home after doing PhD from Oxford, England, atmosphere of happiness in the family

Hansasar's beloved Dr. Arun Singh Babal came home after doing PhD from Oxford, England, atmosphere of happiness in the family

इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड से पीएचडी कर हंसासर का लाडला डॉ. अरुण सिंह बाबल आया घर,परिवार में खुशी का माहौल

इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड से पीएचडी कर हंसासर का लाडला डॉ. अरुण सिंह बाबल आया घर,परिवार में खुशी का माहौल

Hansasar's beloved Dr. Arun Singh Babal came home after doing PhD from Oxford, England, atmosphere of happiness in the family
Hansasar's beloved Dr. Arun Singh Babal came home after doing PhD from Oxford, England, atmosphere of happiness in the family
Hansasar’s beloved Dr. Arun Singh Babal came home after doing PhD from Oxford, England, atmosphere of happiness in the family

 

इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड से पीएचडी कर हंसासर का लाडला डॉ. अरुण सिंह बाबल आया घर,परिवार में खुशी का माहौल

झुंझुनूं जिले के गांव हंसासर के लाडले बेटे अरुण सिंह ने इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूवर्सिटी से पीएचडी वतन वापसी कर गांव में अपने घर आने पर परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है।

अरुण सिंह की स्कूली शिक्षा न्यू इंडियन पब्लिक सीनियर सैकंडरी स्कूल झुंझुनू में हुई।

अरुण सिंह बाबल के पिता भारतीय नौसेना में थे।पिता की ड्यूटी के दौरान साथ रहने पर नौसेना की गतिविधियों ने अरुण का ध्यान तकनीक की तरफ आकर्षित किया। अरुण ने सेंटर फॉर कनवरन्जिग टेक्नॉजिस, राजस्थान विश्वविद्यालय , जयपुर में नैनोसाइंस और सूचना प्रौद्योगिकी में एक एकीकृत बी.टेक और एम.टेक कार्यक्रम पूरा किया। अरुण बाबल को राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला , पूसा रॉड में बुनियादी वैज्ञानिक अवधारणाओं में परियोजना सहायक के रूप में काम करने का अवसर मिला। जहां उन्होंने भौतिकी के मूल सिद्धांतों पर शोध के बारे में जाना। यही वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुप्रयोग पर विश्व स्तर पर किए जा रहे शोध में डॉ. बाबल की रुचि गहरी हुई और विज्ञान के प्रति अपने लगन और सीखने के जुनून के साथ, उन्होंने प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विज्ञान विभाग में पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला लिया। उनका परिवार ही नहीं पूरा झुंझुनू उस समय गर्व महसूस कर रहा था।

डॉ. बाबल ने झुंझुनू के हंसासर गांव से लंदन तक की कठिन यात्रा को अथक परिश्रम से पूरा किया, डॉ. बाबल ने परमाणु रिएक्टरों में रेडियो एक्टिव आयोडीन का पता लगाने के लिए मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (MOFs) बेस्ड सेंसर विकसित किये साथ ही साथ उन्होंने MOFs मेटीरियल की डाइ-इलेक्ट्रिक प्रोपर्टी पर भी काम किया। झुंझुनू के लाल की प्रतिभा को पहचानते हुए, इंजीनियरिंग और भौतिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ईपीएसआरसी) ने डॉक्टोरल ट्रेनिंग पार्टनरशिप स्कॉलरशिप के माध्यम से अरुण बाबल को पीएचडी फेलोशिप से सम्मानित किया जिसके तहत पीएचडी करने की सम्पूर्ण फीस वहन की गई है ये स्कॉलरशिप प्राप्त करना भी एक मुश्किल कंपीटिशन था लेकिन अरुण बाबल की कड़ी मेहनत और प्रतिभा के कारण उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रतिष्टित छात्रवृत्ति से नवाजा गया ।

डॉ बाबल के अनुसंधान कार्य को यूनाइटेड किंगडम की प्रसिद्ध सिंक्रोट्रॉन लैब ने भी सराहा । अपने अनुसन्धान कार्य में निपुणता के कारण डॉ बाबल को विश्व के कई देशो में वैज्ञानिक कांफ्रेंसों में भाग लेने का मौका मिला। वर्तमान में डॉ अरुण सिंह बाबल लंदन सिटी की इक्विफैक्स कंपनी में डाटाबेस साइंटिस्ट की भूमिका में कार्यरत है।

डॉ बाबल अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता और गुरुजनो को देते हे उनका कहना हे की वो शिक्षा और बेहतर तकनीक के उपयोग से देश को विकसित किया जा सकता हे और साथ ही डॉ बाबल अपने क्षेत्र के बच्चो को उच्च शिक्षा अध्ययन के लिए कॅरियर गाइडेंस भी देना चाहते है।

 

 

 

 

 

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