Budania’s daughter Nikita Gurjar is doing the name of the village in sports
बुडानिया की बेटी निकिता गुर्जर खेल में कर रही गांव का नाम रोशन
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46 मीटर दूर डिस्कस फेंक रही निकिता,ओलम्पिक खेलना लक्ष्य
बुडानिया की बेटी निकिता गुर्जर खेल में कर रही गांव का नाम रोशन
46 मीटर दूर डिस्कस फेंक रही निकिता,ओलम्पिक खेलना लक्ष्य
मण्ड्रेला क्षेत्र की ग्राम पंचायत बुडानिया की पांच फीट 11इंच लंबाई वाली बेटी निकिता गुर्जर पुत्री हवलदार सतवीर गुर्जर पिछले चार महीनों में विदेश सहित स्थानीय प्रतियोगिता सहित राज्यस्तरीय माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय 17/19 वर्ष छात्रा एथलीट प्रतियोगिता के डिस्कस थ्रो में पदक जीतकर गांव व झुंझुनूं जिले सहित चूरू जिले का नाम रोशन कर रही है।निकिता 46.70 मीटर दूर तक डिस्कस फेक रही है।
बुडानिया के फौजी परिवार में जन्मी निकिता के दादा मक्खन सिंह गुर्जर व पिता सत्यवीर गुर्जर सेना से सेवानिवृत्त है। मां सरोज ग्रहणी है दो भाई बहनों में बड़ा भाई पीयूष पिलानी से कॉलेज के साथ सेना की तैयारी कर रहा है।
निकिता के पिता सत्यवीर सिंह ने बताया कि बचपन से बेटी का खेलों में लगवा के कारण उसका पिलानी की निजी स्कूल में प्रवेश दिलाया।
पर पढ़ाई व खेल दोनो का बोझ छोटी बच्ची सहन नही कर पाने के कारण निकिता का प्रवेश पिलानी के नजदीक चूरू जिले की चांदकोठी गांव की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कक्षा सात में प्रवेश करवा दिया था जहा वर्तमान में निकिता कक्षा 12वी में अध्ययन कर रही है।
तथा चूरू जिले की एथलीट टीम की ओर से भाग लेकर गत दिनों जालोर में आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीता है।
इससे पूर्व भी निकिता ने मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक तथा कुवेत में हुई अंतरास्ट्रीय यूथ एशियन गेम्स प्रतियोगिता में कांस्य पदक तथा आसाम के गुवाहाटी में आयोजित 37वी एशियन प्रतियोगिता में सिल्वर पदक हासिल किया था।
निकिता गुर्जर ने बताया कि उसके प्रदर्शन पर उसका राष्ट्रीय प्रतियोगिता में चयन हुआ है।वह राजस्थान की ओर से तीन फरवरी से भोपाल में आयोजित खेलो इंडिया खेलो में भाग लेंगी।
अभी वह झुंझुनूं के स्वर्ण जयंती स्टेडियम में कोच मोहित के नेतृत्व में प्रक्षिक्षण कर रही है।
नही मिला कोई सरकारी अनुदान
निकिता का बचपन से डिस्कस थ्रो में रुचि के कारण पिता सत्यवीर सिंह ने उसे अपने खर्चे से खेल की बारीकियां सीखा रहे है।
खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर दो जिलों सहित राज्य व देश विदेश से पदक जीतकर लाने पर भी अभी तक निकिता को कोई सरकारी अनुदान नही मिला है।
अभी भी पूर्व फौजी अपनी बेटी का खेलों में भविष्य बनाने के लिए अपनी पेंशन की राशि से उसे प्रक्षिक्षण दिला रहा है।
यदि सरकारी सहायता मिल जाए तो उसे अच्छी ट्रेनिंग मिल सकती है।वह देश के लिए पदक जीत सकती है।
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मण्ड्रेला क्षेत्र की ग्राम पंचायत बुडानिया की पांच फीट 11इंच लंबाई वाली बेटी निकिता गुर्जर पुत्री हवलदार सतवीर गुर्जर पिछले चार महीनों में विदेश सहित स्थानीय प्रतियोगिता सहित राज्यस्तरीय माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय 17/19 वर्ष छात्रा एथलीट प्रतियोगिता के डिस्कस थ्रो में पदक जीतकर गांव व झुंझुनूं जिले सहित चूरू जिले का नाम रोशन कर रही है।निकिता 46.70 मीटर दूर तक डिस्कस फेक रही है।
बुडानिया के फौजी परिवार में जन्मी निकिता के दादा मक्खन सिंह गुर्जर व पिता सत्यवीर गुर्जर सेना से सेवानिवृत्त है। मां सरोज ग्रहणी है दो भाई बहनों में बड़ा भाई पीयूष पिलानी से कॉलेज के साथ सेना की तैयारी कर रहा है।
निकिता के पिता सत्यवीर सिंह ने बताया कि बचपन से बेटी का खेलों में लगवा के कारण उसका पिलानी की निजी स्कूल में प्रवेश दिलाया।पर पढ़ाई व खेल दोनो का बोझ छोटी बच्ची सहन नही कर पाने के कारण निकिता का प्रवेश पिलानी के नजदीक चूरू जिले की चांदकोठी गांव की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कक्षा सात में प्रवेश करवा दिया था जहा वर्तमान में निकिता कक्षा 12वी में अध्ययन कर रही है। तथा चूरू जिले की एथलीट टीम की ओर से भाग लेकर गत दिनों जालोर में आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीता है।इससे पूर्व भी निकिता ने मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक तथा कुवेत में हुई अंतरास्ट्रीय यूथ एशियन गेम्स प्रतियोगिता में कांस्य पदक तथा आसाम के गुवाहाटी में आयोजित 37वी एशियन प्रतियोगिता में सिल्वर पदक हासिल किया था।
निकिता गुर्जर ने बताया कि उसके प्रदर्शन पर उसका राष्ट्रीय प्रतियोगिता में चयन हुआ है।वह राजस्थान की ओर से तीन फरवरी से भोपाल में आयोजित खेलो इंडिया खेलो में भाग लेंगी।अभी वह झुंझुनूं के स्वर्ण जयंती स्टेडियम में कोच मोहित के नेतृत्व में प्रक्षिक्षण कर रही है।
नही मिला कोई सरकारी अनुदान
निकिता का बचपन से डिस्कस थ्रो में रुचि के कारण पिता सत्यवीर सिंह ने उसे अपने खर्चे से खेल की बारीकियां सीखा रहे है।खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर दो जिलों सहित राज्य व देश विदेश से पदक जीतकर लाने पर भी अभी तक निकिता को कोई सरकारी अनुदान नही मिला है।अभी भी पूर्व फौजी अपनी बेटी का खेलों में भविष्य बनाने के लिए अपनी पेंशन की राशि से उसे प्रक्षिक्षण दिला रहा है।यदि सरकारी सहायता मिल जाए तो उसे अच्छी ट्रेनिंग मिल सकती है।वह देश के लिए पदक जीत सकती है।
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