July 27, 2024

News & jobs

देश विदेश के हिंदी समाचारों सहित नोकरी Jobs देखें।

Fakirchand

"The name is Fakirchand... but there is no bigger donor than him.

“The name is Fakirchand… but there is no bigger donor than him.

”नाम फकीरचंद…  पर इनसे बड़ा दानी नहीं कोई.

”नाम फकीरचंद…  पर इनसे बड़ा दानी नहीं कोई.

Fakirchand
“The name is Fakirchand… but there is no bigger donor than him.

 

”नाम फकीरचंद…  पर इनसे बड़ा दानी नहीं कोई.  “The name is Fakirchand… but there is no bigger donor than him.

”नाम फकीरचंद…  पर इनसे बड़ा दानी नहीं कोई.
“The name is Fakirchand… but there is no bigger donor than him.
गत्ते बटोरकर 600 रुपये रोज कमाने वाले इस ‘फकीरचंद’ के आगे बौने हैं दुनिया के बड़े से बड़े दानवीर…!
 हर रोज जो कमाता हूं उसे बैंक में जमा करा देता हूं. जब ज्यादा पैसे जुड़ जाते हैं तो उन्हें इकट्ठा करके किसी भी सामाजिक संस्था को दान कर देता हूं.
मैं अकेला ही हूं. भाई-बहनों की मौत हो चुकी है. शादी नहीं की है।
कैथल ”नाम फकीरचंद… काम कबाड़ बीनना.. हर रोज की कमाई 600 से 700 रुपये, लेकिन 90 फीसदी कमाई को फकीरचंद दान कर देते हैं. अब तक 35 लाख रुपये का दान कर चुके हैं. खुद शादी नहीं की लेकिन कई लड़कियों की शादी करा चुके हैं जो गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थीं. फकीरचंद के चर्चे अब हर जगह हो रहे हैं. लोगों का कहना है कि उनका नाम जरूर फकीरचंद हैं, लेकिन वह दिल से अमीर हैं. ”
दरअसल, कैथल के फकीरचंद अपनी कमाई का 90 प्रतिशत हिस्सा दान में दे देते हैं. शहर के अर्जुन नगर खनौरी रोड बाईपास गली नंबर-1 में रहने वाले फकीरचंद की उम्र 53 साल है. अकेले जीवन बिताने वाले फकीरचंद के घर की बात की जाए तो 200 गज की जमीन पर बने घर में केवल एक कमरा बना हुआ है।
फकीरचंद कीपैड वाला फोन चलाते हैं. कमरे में लोहे का गेट लगा हुआ है. कमरे में कबाड़ रखा रहता है. एक सीलिंग फैन लगा है, पुराना संदूक है, कुछ बर्तन हैं, दीवारों पर कई सारे देवी-देवताओं की तस्वीरें मौजूद हैं।
फकीरचंद कहते हैं कि वे 5 भाई-बहन थे. 4 का देहांत हो चुका है और हम में से किसी की भी शादी नहीं हुई. वह घर में अकेले ही रहते हैं. फकीरचंद कहते हैं कि मरने से पहले इस मकान को भी दान करके जाऊंगा.
मैं चाहता तो आराम से जिंदगी काट सकता था- फकीरचंद
फकीरचंद कहते हैं कि भाई-बहनों के गुजर जाने के बाद पारिवारिक जायदाद मुझे ही मिली. मैं चाहता तो जिंदगी भर आराम से बैठकर खा सकता था. सारी सुख-सुविधाओं का आनंद ले सकता था, लेकिन मेरा विश्वास मेहनत करके कमाने-खाने पर है. जब तक मेहनत करता रहूंगा, शरीर भी ठीक रहेगा और शायद इस जन्म में किए गए पुण्य का फल मुझे अगले जन्म में मिले.
कबाड़ और गत्ता बेचते हैं फकीरचंद
बैंक में जमा करता हूं कमाई, फिर दान कर देता हूं – फकीरचंद
फकीरचंद बताते हैं कि वे पिछले 25 साल से कबाड़ बीनने का काम कर रहे हैं. पैदल ही दुकानों से गत्ता खरीदते हैं और फिर उसे कबाड़ी को बेच देता है. इससे 600-700 रुपये की हर रोज कमाई हो जाती है. कमाई की रकम को बैंक अकाउंट में जमा करा देते हैं. जब ज्यादा रकम इकठ्ठा हो जाती है। तो उसे विभिन्न सामाजिक संस्थाओं को दान दे देते हैं या फिर सामाजिक कार्यों में लगा देते हैं।
पांच  लड़कियों की कराई शादी, हर किसी को 75 हजार का सामान
फकीरचंद अब तक गरीब परिवार से आने वालीं 5 लड़कियों की शादी करा चुके हैं. उन्होंने हर एक लड़की को 75 हजार रुपये का सामान भी दिया.
फकीरचंद के दान की लिस्ट
कैथल गोपाल धर्मशाला में गायों के लिए शेड बनवाया, जिस पर 3 लाख रुपए खर्च किए.
नंदीशाला गौशाला में शेड के लिए 4 लाख रुपये का दान.
कैथल की नई अनाज मंडी के नजदीक बनी गौशाला को 4 लाख रुपए का दान.
अरुणाय मंदिर पिहोवा में बनी कैथलवालों की धर्मशाला में भी 1 लाख 70 हजार रुपए की लागत से बनवाया शेड.
निर्माणाधीन नीलकंठ मंदिर में भी फकीरचंद अब तक 12 से 13 लाख रुपए दान दे चुके हैं.
वृद्ध आश्रम कमेटी चौक में 2 लाख 30 हजार रुपये की लागत से कमरा बनवाया.
कैथल में मौजूद खाटू श्याम मंदिर में 3 लाख 60 हजार रुपये से शेड बनवाया.

 

 

 

 

 

 

 

————————————————Thank You For visit——————————————————-